आओ मेरी सखियाँ मुझे मेहँदी लगादो
आओ मेरी सखियाँ मुझे मेहँदी लगादो
मेहँदी लगादो मुझे मेहँदी लगादो
मुझे श्याम सुन्दर की दुलहन बनादो.
सत्संगत मे मेरी बातें चलाई
सद्गुरु ने मेरी किन्ही सगाई
उनको बुलाके मेरी हथलेवा करादो……मुझे श्याम…..॥१॥
ऐसी पहनु चुडी जो कबहुँ न टूटे
ऐसा वरूँ दुलाहा जो कबहुँ न छूटे
अटल सुहाग की विन्दिया लगादो…मुझे श्याम.. ॥२॥
ऐसी ओढूँ चुनरी जो रङ्ग नाहीं छूटे
प्रीतिका धागा जो कबहु न टूटे
आज मेरी मोतियाँ से माँग भरादो……मुझे श्याम………॥३॥
भक्ति की सुरमा मे आँखों मे लगाऊँगी
दुनियाँ से नाता तोड उनकी हो जाऊँगी
सद्गुरु को बुला के मेरे फेरे तो करादो….मुझे श्याम…..॥४॥
बाँध के घुघुँरु मे उनको रिझाउँगी
लेके एक तारा मे श्याम श्याम गाउँगी
सखियाँ को बुलाके मेरे विदा तो करादो..मुझे श्याम ॥५॥