भजन श्रीमन्नारायण विनती
श्रीमन्नारायण सुनलो विनती, मै शरण तुम्हारी ।।
।। टेर ।।
मे हूं पापी जन्म-जन्म को, कहा कहूँ करतार।
श्री चरणन से विमुख होयकर, भटक्यो द्वारजी।। १
श्री वैष्णवजन कृपाकरी आति, ताको अंत न पार।
श्री पति के शरणागति होजा, होगा बेडा पार जी।। २
अखिल कोटि ब्रह्मांडपती है, सब जगके आधार ।
ब्रह्मादिक सब स्तुती करत है, फिर-फिर बारहिं बारजी।। ३
आपही मातापिता सब जगके, आपही सब धनमाल ।
श्रीरामानुज की किरपा से, भये दासको ज्ञानजी ।। ४
श्री चरणन में प्रेम बढावो, मिला भागवत संग।
श्री वैष्णव को दास गातजस, करों मानामद भंगजी ।। ५