भजन श्रीलक्ष्मीनारायण की
जो श्रीलक्ष्मीनारायण भजेगा, सोहि परंपद पायेगा ।।टेर ।।
लूटा मजा ध्रुव भक्तने, हरि नामके प्रतापसे।
भगवान उनको आ मिले, त्रैलोलोकमें यश छागया ।।
प्रह्लाद को लागी लगन, उस पार ब्रह्म के नामकी ।
नृसिंह हो दर्शन दिये, हृदयसे अपने लगालिया ।।
दिलके दर्पण को सफाकर, दूर कर अभिमानको ।
संगत करलो महात्माकी, तो प्रभू मिल जायगा ।।
दृढ भरोसा मनमें करके, जो भजे भगवानको ।
श्रीरामानुजकी कृपासें, प्रभु चरण मिल जायगा ।।
श्रीवैष्णव को दास गात जस, चरण कमलके काज को
यह दिव्य चरित्र जो गायगा – सो हि परंपद पायगा –