श्रीसुदर्शन प्रपत्तिः

श्रीमते रामानुजाय नमः

श्रीसुदर्शन प्रपत्तिः

ॐ सहस्रादित्य सङ्काशम् सहस्रवदनम् परम्
सहस्रदोस्सहस्रारम् प्रपद्येऽहम् सुदर्शनम् ॥ १ ॥

रणत्किङ्किणि जालेन राक्षसघ्नम् महाद्भुतम्
व्याप्तकेशम् विरूपाक्षम् प्रपद्येऽहम् सुदर्शनम् ॥ २ ॥

प्राकारसदृशम् मन्त्रम् वदन्तम् शत्रुनिग्रहम्
भूषणैः भूषितकरम् प्रपद्येऽहम् सुदर्शनम् ॥ ३ ॥

पुष्करस्यामनिर्देशम् महामन्त्रेण सम्मतम्
शिवम् प्रसन्नवदनम् प्रपद्येऽहम् सुदर्शनम् ॥ ४ ॥

हुङ्कारभैरवम् भीमम् प्रपन्नार्तिहरम् प्रियम्
सर्वपापप्रशमनम् प्रपद्येऽहम् सुदर्शनम् ॥ ५  ॥

अनन्तहारकेयूरमुकुटादिविभूषितम्
सर्वरोगप्रशमनम् प्रपद्येऽहम् सुदर्शनम् ॥  ६ ॥

सुदर्शनप्रपदनम् प्रातरुत्थाय य: पठेत्
कोटिजन्मकृतम् पापम् सर्वम् सद्यो विनश्यति ॥ ७  ॥

इति श्रीसुदर्शनप्रपत्तिः सम्पूर्णा

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