॥ श्रीगोदामंगल स्तोत्रम् ॥
स्वोच्छिष्टमालिकाबन्ध गन्धबन्धुरजिष्णवे ।
विष्णुचित्ततनूजायै गोदायै नित्यमङ्गळम् ॥ १ ॥
मादृशाकिञ्चनत्राण बद्धकङ्कण पाणये ।
विष्णुचित्ततनूजायै गोदायै नित्यमङ्गळम् ॥ २ ॥
श्रीमत्यै विष्णुचित्तार्य मनोनन्दनहेतवे ।
नन्दनन्दन सुन्दर्यै गोदायै नित्यमङ्गळम् ॥ ३॥
कर्कटे पूर्वफल्गुन्यां तुलसीकाननोद्भवाम्।
पाण्ड्ये विश्वं भरां गोदां वन्दे श्रीरङ्गनायकीम् ॥ ४॥
॥ इति श्रीगोदामंगल स्तोत्रम् ॥