वेंकटरमणा गोविन्दा
हम तो तेरे शरण मे आए श्रीबालाजी गोविन्दा
लाज बचालो आज हमारी वेंकटरमणा गोविन्दा
गोविन्दा रे गोविन्दा संकटहरणा गोविन्दा……
दूर देश से चलकर भगवन् तिरुपति हम आए हैं
तेरे चरणौं मे अर्पण करने प्रेम भेट हम लाए हैं
हम को अपनी शरण मे लेलो श्रीबालाजी गोविन्द… बचाओ…॥१॥
गोविन्दराज के दर्शन करके तिरुमलै हम आए हैं
वेदशास्त्र की महिमा सुनकर पुष्करिणी मे नहाए हैं
वराहराज ये करिये रचना तेरे खातिर गोविन्दा… लाज बच्चा …
प्रथम आपकी नगरी मे हम सारे दर्शन पाए हैं
मेरे दर्शन करने के खातिर धर्म की बारी लगाए हैं
उस बारी के पिजडें मे हम नाम रटेगें गोविन्दा….लाज बचाओ….॥३॥
जैसे तैसे करकर भगवन तेरे सन्मुख आए हैं
जरगन्डी जरगन्डी कह कर हम को दूर हटाए हैं
मन की आशा अधूरी रह गई दर्शन के खातिर गोविन्दा…..लाज बचाओ….॥४॥
प्रभुजी तुम हो जग के ठाकुर दया करो और मिला करो
इतनी सी है विनती हमारी मन मे दर्शन दिया करो
रामानुज ने लिखदी हुन्डी आप स्वीकारो गोविन्दा….लाज बचाओ……॥५॥